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महसूस

महसूस को लिखने की कोशिश है, जो जी रहा हूँ उसको लिखने की कोशिश है। जो देख नहीं पा रहा पर महसूस कर पा रहा हूँ, उसको लिखने की कोशिश है।   हम सब महसूस से बने है, अंत तक वही साथ रहेगा ज़ेहन में। जो तुम्हें महसूस न हो, वह मामूली है, भुला दोगे तुम कुछ दिनों में।

I wish we had never grown up

I wish I had all my childhood friends still with me. I wish we had never grown up... I wish I still had summer vacations with them, playing cricket until it’s dark. I wish I could still buy candies and eat them, like little drops of heaven. I wish I had a piggy bank I could break for their birthday parties. I wish I could laugh at them when they believe my silly lies. I wish I could still tease them and run, knowing they’d catch me and hit me in the stomach.   I wish I could share my office lunch box with them. I wish I could talk to them about what happens when we get older, like we used to talk about what would happen when we turned adults. I wish some of them weren't far away across the ocean.   I wish I had all my childhood friends still with me. I wish we had never grown up...

मेहबूबा

सवाल  --  वो अक्सर मुझसे रात में पूछा करती है, "आप मुझसे कितना प्यार करते हैं?"  मैं हर बार कहता हूँ, "मेरा प्यार इतना थोड़ा नहीं है कि तुम उसे गिनतियों में नाप सको।" वो मुझसे पूछा करती है, 'पुराने दोस्त मिल जाएं तो घंटों-घंटों क्या बातें होती हैं एक-दूसरे से?' मैं मुस्कुराकर कहता हूँ, 'बातें तो फिज़ूल ही होती हैं अक्सर हमारी, पर सवाल नहीं पूछते हैं हम एक-दूसरे से।'"

मैं और मेरे अंदर का "मै"

ख्वाहिश  --  मन करता है, लिख दूँ सब जो मेरे दिल में है। रुक जाता हूँ, सोचकर कि पढ़कर खुद ही न जला दूँ उसे। बहुत मन करता है, मेरे अंदर के 'मैं' से मिलने का। फिर रुक जाता हूँ, सोचकर कि कहीं पहचान नहीं पाया तो उसे।